मां सीताजी के प्राकट्य क्षेत्र सीतामढ़ी (बिहार) को तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए काउंसिल की पहल। काउंसिल के प्रयत्नों को देखते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने हाल में सीतामढ़ी में राघोपुर बखरी स्थित 833 वर्ष पुराने श्रीराम-जानकी स्थान पर काउंसिल को 12 एकड़ भूमि आवंटित की है। काउंसिल ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ यहां की भूमि पर 51 शक्तिपीठों से मिट्टी एवं ज्योत लाकर शक्ति-स्वरूप में एक मंदिर को स्थापित करने का संकल्प लिया है।
और पढ़ने के लिएअयोध्या में लगभग 500 वर्षों के संघर्ष पर आधारित ग्रंथ ‘श्रीरामलला- मन से मंदिर तक’ हिन्दी भाषा में तैयार है। ग्रंथ 1250 पृष्ठों का है तथा हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में तैयार किया जा रहा है। मा. प्रधानमंत्री जी का विशेष आभार जिन्होंने ग्रंथ-लेखन के दौरान काउंसिल के महासचिव श्री कुमार सुशांत को समय देकर ग्रंथ के पूरे विषय को समझा। ग्रंथ को 21 देशों में विमोचन करने का संकल्प है तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों में डिजिटल रूप से प्रसार का संकल्प है।
और पढ़ने के लिएहम देवभाषा संस्कृत भाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करना चाहते हैं। इसलिए हम संस्कृत भाषा में पाक्षिक पत्रिका ‘रामायण वार्ता’ का प्रकाशन करते हैं। हम संस्कृत के प्रशिक्षण पर भी कार्य करते हैं। हमने संस्कृत भाषा के प्रति आमजन में जागरूकता हेतु 60 दिनों का एक कोर्स ‘देवभाषा संस्कृत सीखें’ डिवेलप किया गया है। इसे टेक्स्ट और डिजिटल दोनों प्रारूप में तैयार किया गया है जिसके माध्यम से शिक्षण एवं प्रशिक्षण हेतु संस्कृत के प्रसार के लिए कार्यशाला भी आयोजित करते हैं।
और पढ़ने के लिए‘रामायण रिसर्च काउंसिल’, नई दिल्ली में ट्रस्ट के रूप में एक पंजीकृत संस्था है जिसका गठन वर्ष 2020 में हुआ है। संस्था आयकर विभाग अंतर्गत 12A एवं 80G संबद्ध है। काउंसिल संतों के नेतृत्व एवं सानिध्य में ही कार्य करती रही है। काउंसिल का उद्देश्य हमारे देश के सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन करना है। काउंसिल का मानना है कि प्रभु श्रीराम और श्रीभगवती सीताजी का जीवन एक आदर्श प्रेरणा-स्रोत है जिनका अनुसरण कर तथा पदचिन्हों पर चलकर हम अपने जीवन को सफल, सार्थक और अनुशासित बना सकते हैं।
काउंसिल का उद्देश्य है, हमारे समाज को सुसंस्कृत एवं संस्कारित बनाना। हम विशेषकर छोटे बच्चों में अनुशासन, संस्कार एवं संस्कृति की जानकारी देना चाहते हैं। इसलिए काउंसिल के प्रकल्प ‘रामायण मंच’ के बैनर तले छोटे बच्चों में संस्कार प्रदान करने पर कार्य कर रहे हैं। काउंसिल अपने उद्देश्य में सफल भी रही है। काउंसिल की सफलता का ही परिणाम है कि आज ‘रामायण मंच’ पर एंकरिंग करने वाले वेदांत ठाकुर जी बाल कथा व्यास हैं और जो वैदेहीनंदन पंडित वेदांत जी महाराज (11 वर्षीय बाल व्यास) के नाम से प्रचलित हैं। आपको बता दें कि बाल व्यासजी ने बालमन को सांस्कृतिक विचारों से जोड़ने वाले पद्य ‘वेदांत पुष्प’ को तैयार किया है